सारे मध्य प्रदेश मे कम वर्षा के चलते जल संकट व्याप्त है। सतही जल की अपर्याप्त मात्रा ने प्रदेश मे जल संकट नई ईबारत लिख दी है। अत्यधिक दोहन ने पहले ही से संकट खडा किया हुआ है और अब ऊपर से कम वर्षा की मार ने सिहरन पैदा कर दी है। एक ओर जहाँ पेयजल की कमी खड़ी है तो वहीं दूसरी तरफ़ वन्य जीवों को प्रदूषित या सूखे के दौर मे बिना पानी के अन्यत्र पलायन करने को बाध्य होना पडा है।
पलायन की इस दशा मे वन्य प्राणियों को अपने प्राकृतिक निवासों मे बनाए रखना कठिन हो जाएगा। वन्य प्राणियों की सुरक्षा करना भी इस दौर मे कठिन होगा। वन्य प्राणी ग्रामीण ईलाकों के समीप उपलब्ध पेयजल की चाह मे इंसानी संघर्ष से रूबरू होंगे। प्राकृतिक जलीय क्षेत्र समय के पहले ही शुष्क हो गए है और वन्य प्राणीk दिखाई देना घबराहट के रूप मे दर्शित किया जाना प्रारम्भ हो चुका है। ग्रामीण क्षेत्र से इन प्राणियों को दूर रखने का सिर्फ़ एक ही उपाय है की चिन्हित क्षेत्रों मे ट्रेवर टेंकों का निर्माण किया जाए।
बर्ड्स वाचिग ग्रुप ने पेयजल संकट की आहट के साथ वन्य जीवों की सुरक्षा प्रबंध किए जाने की सिफारिश करते हुए ग्रामीण जनों और वन्य जीवों के मध्य टकराव उत्पन्न न हो इसके लिए वन्य जीवों को पर्याप्त पेयजल गाँव से दूर उपलब्ध हो सके इसके प्रयासों मे भागीदारी किए जाने की अपील की है ।
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