Saturday, December 20, 2008

गिद्ध दिखने का सुकून

पर्यावरण का रक्षण करना सभी का कर्तव्य है । कल सागर से भोपाल लौट कर आते हुए जब गैरतगंज ८ किलोमीटर के फासले पर रह गया । गिद्धों की लुप्त हो रही प्रजातियों के गिद्ध एक साथ दिख जाना सुकून भरे लगे । किंग वल्चर, इजिप्शियन वल्चर, व्हाइट कालर्ड वल्चर के साथ एक गिद्ध जिसे मै नाम से अभिव्यक्त कर पाने में कठिनाई महसूस कर रहा हूँ के झुंड जिनमे संख्या के नाप से क्रमशः ९, ७, १८, १२ के योग में कुल ४६ गिद्ध देख पाया । मैंने गाड़ी रुकवाकर देखा तो पता चला एक लंगूर का भोजन ये प्राकृतिक सफाई कर्मी कर रहे थे ।गिद्धों पर आए संकट का मूल कारण अब डाईक्लोफेनेक सोडियम को माना जाता है और ये दवा पालतू गाय भैंसों को खाने की वजह से गिद्धों में किडनी खराबी का कारण रही है, एसा ज्ञात तथ्य है । मेरे साथ अशोक डांगी, अशोक गंगवाल , बाबूलाल सेठिया दौरे पर थे । मेरे वाईल्ड लाइफ सेंस से सभी वाकिफ है और गिद्ध दिखने से मेरी जाहिर खुशी उन्हें हतप्रभ कर गई । किसी परिंदे को देख कर होने वाली ऐसी खुशी से वे पहली बार रुबरु हुए थे । गिद्धों पर आए संकट और लुप्त प्रायः परिंदों के बारे में उन्हें खुलकर बताया तब जा कर वे मेरी खुशी को समझ सके । रतलाम में डी ऍफ़ ओ रहे श्री विवेक जैन से मैंने चर्चा कर बताया की मैं इस वक्त चार अलग अलग प्रजाति के गिद्धों के एक समूह के बीच खडा हूँ और हड़बड़ी में घर से केमेरा ले जाना भूल गया हूँ लेकिन ये मेरे जीवन का अद्भुत पल है की एक साथ विभिन्न प्रजातियों को देख पा रहा हूँ । पहले किसी एक प्रजाति के बड़े समूह से साक्षात्कार रहा है लेकिन कई सारी प्रजातियाँ देख रहा हूँ जो एक विरला अनुभव है । मेरे समाचार भर से उनकी आवाज़ में गजब की चमक थी । भोपाल पहुँच कर जाहिद मीर जो मेरे द्वारा स्थापित बर्ड्स वाचिंग ग्रुप के किसी वक्त सह सचिव रहे और अब भोपाल में पदस्थ हैं को रतलाम के ही सुभाष नायडू जो अब भोपाल में एक्स्प्लोड़ रेस्टोरेंट का संचालन करते हैं को यह बात बताई तो वे भी खुशी से भर गए । अब आपको यह समाचर जाहिर कर रहा हूँ ....... पर्यावरण के हितैषी ब्लॉग सदस्य इस समाचार से खुश होंगे ही ....... पूरा यकीन है

2 comments:

P.N. Subramanian said...

हम भी खुश हुए. पारसी लोग भी खुश होंगे. आभार.
http://mallar.wordpress.com

Vivek Gupta said...

सुंदर जानकारी | पड़ कर अच्छा लगा |