Friday, June 27, 2008

अपनी अपनी दुनिया


रात की अँधेरी दुनिया
हमारे लिए खौफनाक हो जाती है
पर जीवन
इस कदर भी चलता है।

Wednesday, June 25, 2008

Tuesday, June 24, 2008

हम बुन रहे अपना आशियाना हमें न सताना


दुनिया के हम भी रहने वाले हैं, ऐ इन्सान

हम बुन रहे अपना आशियाना

हमे ना सताना

हो सके तो हमें बचाना

Saturday, June 21, 2008

आप क्यों बन रहे है ?


पैसे कि दीवानगी में कहीं

आप यह तो बन नहीं रहे।

ख़ुद को बचाएँ


आज का इंसान ख़ुद को मिटा रहा है ।

ख़ुद को मिटने से बचाएँ ,

सहिष्णुता अपनाएं ,

धरती बचाएँ ,

मानव जीवन सुरक्षित बनाएं।

Wednesday, June 18, 2008

इको टूरिज्म



पर्यावरण यात्राएं सहर्ष करने को आप प्रेरित हैं।

Tuesday, June 17, 2008

अब धरती नई नज़र से

हम सुनहरे कल की और बढ़ने की जगह गड़ रहे हैं। सितारों के आगे एक और जहाँ की चाह मे हम जो गुल खिलाने जा रहे हैं वो नई नज़रों की बानगी में कुछ ऐसा हो सकता है।

फ़िर चली कुल्हाडी


फ़िर चली कुल्हाडीयाँ। हर बार जब इंसान कि जरूरते बढ़ती हैं निःशब्द पेड़ों पर उसका आक्रमण एक सहज सा कार्य होता है। धरा का ये श्रृंगार हमेशा ही उजाडा जाता है ।

जीना हमसे सीखो

जीना हमसे सीख लो।

Monday, June 16, 2008

जाइए आप कहाँ जायेंगे

जाइए आप कहाँ जायेंगे , ये नज़र तुम्हे ढूंढ लाएगी

Sunday, June 15, 2008

हमारी निगाहें आप ही पर हैं


आपकी दुनिया पर हम्मारी निगाहें हैं । सावधान रहे क्योंकि हम तुम्हे नष्ट होते देख रहे हैं ।

मेरी दुनिया सहेजो वर्ना

आप अगर अपना काम मेरे साथ करें तो ठीक वरना मैं हूँ ना .....................

सप्ताह का प्रश्न

धरती का संरक्षण कितना जरूरी है ? कृपया अपने विचार भेजें । रोटरी अपने प्रिज़र्व प्लेनेट अर्थ के माध्यम से गतिशील होकर २०१० तक समूचे विश्व को सुरक्षा आवरण प्रदान करने को आतुर है।

हमे बचाओ हम बचाएँ

हम बारिश के दिनों के आनंद तो लेते ही है । परन्तु बारिश हर वर्ष अपने साथ भयंकर प्रलय का रूप धर कर आ खड़ी होती है । इंसान की मजबूरी को व्यक्त करता निम्न दृश्य हमारी जिन्दगी में पेड़ की आवश्यकता को प्रतिपादित करता है । आओ पेड़ लगाएं, पेड़ बचाएँ।

Thursday, June 12, 2008

आओ पर्यावरण का रक्षण करें

हम जानते हैं के धरती की गौद में अनेकों जीव बसते हैं । हम मनुष्य धरती के सर्वाधिक समृद्ध एवं शक्तिशाली जीव हैं । दिमागदार होने का अर्थ तो ये होना चाहिए था कि समस्त जीवों का रक्षण हम करें परन्तु साम्राज्य स्थापित करने कि होड़ में जबकि इंसानों के कबीले बनने लगे तो स्वाभाविक ही था कि इंसानों कि जरूरते पूरी होने में जीव रक्षा गौण हो जाए ।
आओ पर्यावरण का रक्षण करें ताकि हमारा मानव जीवन सफल हो जाए ।

माही के उद्गम स्थल की यात्रा

पर्यावरण की रक्षा हम सभी का पुनीत कर्तव्य है। विगत दिनों बर्ड्स वाचिंग ग्रुप के दल ने माही के उद्गम स्थल की यात्रा की। विस्तृत वर्णन अगली बार ...............