Tuesday, June 17, 2008

अब धरती नई नज़र से

हम सुनहरे कल की और बढ़ने की जगह गड़ रहे हैं। सितारों के आगे एक और जहाँ की चाह मे हम जो गुल खिलाने जा रहे हैं वो नई नज़रों की बानगी में कुछ ऐसा हो सकता है।

No comments: